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विराट कोहली का टेस्ट करियर ऑफ स्टंप की गलती ने खत्म किया? मोंटी पनेसर का बड़ा दावा

विराट कोहली टेस्ट से संन्यास के बाद भावुक नजर आए

जब विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट से रिटायरमेंट की घोषणा की, तो पूरा क्रिकेट जगत हैरान रह गया। हर किसी के मन में एक ही सवाल था – क्या वाकई अब वो वक्त आ गया है कि कोहली जैसे बल्लेबाज को whites में ना देखा जाए? इस सवाल के जवाब में पूर्व इंग्लिश क्रिकेटर मोंटी पनेसर ने एक ऐसा बयान दिया जिसने नई बहस छेड़ दी है।

पनेसर का दावा है कि विराट कोहली का टेस्ट करियर एक खास तकनीकी कमजोरी की वजह से खत्म हुआ – और वो कमजोरी है ऑफ स्टंप के बाहर की गेंदों पर उनका लगातार जूझना। क्या वाकई यही कारण था कि कोहली ने इंग्लैंड दौरे से ठीक पहले टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया?


मोंटी पनेसर का बड़ा दावा – ऑफ स्टंप ने डुबोया करियर

मोंटी पनेसर का मानना है कि विराट कोहली ने ऑफ स्टंप के बाहर पांचवें स्टंप की लाइन पर आती गेंदों से जूझने की समस्या का हल कभी ढूंढा ही नहीं। उनका कहना है कि 2014 में इंग्लैंड दौरे पर जेम्स एंडरसन ने जिस तरह कोहली को बार-बार उस लाइन पर परेशान किया, वो तकनीकी कमजोरी आज भी कोहली के साथ बनी रही।

पनेसर कहते हैं, “ऑस्ट्रेलिया की उछाल भरी पिचों और इंग्लैंड की स्विंग में कोहली की वही कमजोरी उजागर होती रही। शायद यही कारण है कि उन्होंने टेस्ट से हटने का फैसला किया और अपनी ऊर्जा RCB और वनडे क्रिकेट में झोंकने का प्लान बनाया।”


2018 की वापसी थी दमदार, लेकिन फिर वही पुरानी कहानी

2014 के बुरे दौरे के बाद 2018 में कोहली ने इंग्लैंड में शानदार वापसी की थी। उस दौरे पर उन्होंने खुद को साबित किया कि वो ऑफ स्टंप पर नियंत्रण रख सकते हैं। लेकिन पनेसर के मुताबिक, अब जब उम्र बढ़ी, फॉर्म थोड़ी गिरी और मानसिक दबाव बढ़ा – तो वही पुरानी कमजोरी फिर सामने आने लगी।

पनेसर ने कहा, “पिछले 12 से 18 महीनों में कोहली फिर से उसी लाइन की गेंदों पर जूझते नजर आए। चौथे और पांचवें स्टंप की लाइन उनकी सबसे बड़ी दुश्मन बन गई। और इसका हल न मिलने पर उन्होंने खुद को टेस्ट से अलग करना ही सही समझा।”


युवाओं के लिए रास्ता बनाना भी कोहली का फैसला

पनेसर मानते हैं कि कोहली केवल अपनी कमजोरी की वजह से नहीं, बल्कि भारतीय क्रिकेट में बदलाव की जरूरत को भी समझते हैं। उन्होंने कहा, “कोहली ने टेस्ट क्रिकेट को पूरी तरह जिया है। अब उन्हें लगता है कि युवाओं को मौका मिलना चाहिए और भारतीय क्रिकेट को आगे ले जाना चाहिए।”

शुभमन गिल अब भारतीय टेस्ट टीम की कमान संभालने वाले हैं। और इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए उन्हें विराट जैसे लीडर से मिली विरासत को आगे बढ़ाना होगा।


भारत-इंग्लैंड सीरीज: नई चुनौती, नई उम्मीदें

भारत और इंग्लैंड के बीच आगामी टेस्ट सीरीज पर बात करते हुए पनेसर ने कहा कि इस बार पिचें फ्लैट होंगी और इससे बल्लेबाजों को फायदा मिलेगा। इंग्लैंड अपनी ‘बैज़बॉल’ रणनीति को तटस्थ परिस्थितियों में अपनाना चाहता है, जिससे मैच अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगे।

भारत के पास रवींद्र जडेजा, वाशिंगटन सुंदर और कुलदीप यादव जैसे विकल्प हैं, जो स्पिन में बढ़त दिला सकते हैं। वहीं इंग्लैंड की टीम में स्टोक्स की गेंदबाजी और आर्चर की फिटनेस सीरीज को रोचक बनाएगी।


कोहली की विदाई: एक युग का अंत

विराट कोहली और रोहित शर्मा के टेस्ट क्रिकेट से एक साथ रिटायरमेंट ने भारतीय ड्रेसिंग रूम में एक बड़ा खालीपन छोड़ दिया है। मोंटी पनेसर को लगता है कि कोहली का 2018 वाला फॉर्म अब दोहराना आसान नहीं था। उन्होंने जो किया, वो अब इतिहास बन गया है।

अब फोकस नए खिलाड़ियों पर है – क्या वे कोहली की विरासत को आगे बढ़ा पाएंगे? क्या गिल जैसे कप्तान टीम को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे? और सबसे अहम – क्या कोहली कभी दोबारा whites में नजर आएंगे?

फिलहाल जवाब नहीं है। लेकिन एक बात तय है – विराट कोहली का नाम हमेशा भारतीय टेस्ट क्रिकेट की आत्मा के रूप में याद किया जाएगा।


🔚 निष्कर्ष:
विराट कोहली का टेस्ट से विदाई लेना सिर्फ एक खिलाड़ी का रिटायरमेंट नहीं है, यह एक युग का अंत है। मोंटी पनेसर के विश्लेषण ने हमें कोहली की तकनीकी और मानसिक यात्रा का वह पहलू दिखाया, जो अक्सर छुपा रह जाता है। अब वक्त है नई पीढ़ी को आगे आने का और विराट की विरासत को आगे बढ़ाने का।

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