🗓️ 25 मई 2025 | ✍️ IPLJANKARI_hindi
भारतीय टेस्ट टीम के नए कप्तान शुभमन गिल ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपने लीडरशिप विज़न पर खुलकर बात की। 2024 में जिम्बाब्वे के खिलाफ अपनी पहली सीरीज़ में कप्तानी करने के बाद और अब 2025 में आधिकारिक रूप से टेस्ट टीम की कमान संभालने के बाद गिल एक नए युग की शुरुआत कर रहे हैं।
लेकिन क्या गिल कप्तानी के लिए सही चुनाव हैं? क्या इंग्लैंड जैसी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में उनका बल्लेबाज़ी रिकॉर्ड उन्हें कमजोर बनाता है? और विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे दिग्गजों से उन्होंने क्या सीखा है? चलिए जानते हैं गिल की जुबानी।
“विराट भाई की आक्रामकता और रोहित भाई की ठहराव – दोनों से सीखा”
शुभमन गिल ने कहा,
“विराट भाई से मैंने सीखा कि मैदान पर जुनून कैसे दिखाना है। वो टीम को भावनाओं से जोड़ते हैं। वहीं, रोहित भाई की सबसे बड़ी ताकत है उनका शांत रवैया और सभी से बात करना। मैंने दोनों से बैलेंस बनाना सीखा है।”
गिल मानते हैं कि इन दोनों लीडर्स की शैली अलग थी, लेकिन उनके अंदर एक चीज कॉमन थी – टीम को आगे रखने की सोच। और अब जब कप्तानी गिल के पास है, तो वह इसी संतुलन को बनाए रखना चाहते हैं।
अश्विन की भूमिका को भी सराहा
गिल ने रविचंद्रन अश्विन को भी अपना मार्गदर्शक बताया।
“अश्विन भाई से मैंने सीखा कि कैसे हर परिस्थिति में सोच को तेज और स्पष्ट रखा जाए। वो मैदान के सच्चे सोचने वाले खिलाड़ी हैं।”
गिल की बल्लेबाज़ी चमक, पर इंग्लैंड में फॉर्म पर सवाल
शुभमन गिल इस वक्त ICC ODI रैंकिंग में नंबर 1 बल्लेबाज़ हैं। उनका हालिया फॉर्म शानदार रहा है, खासकर वनडे क्रिकेट में। लेकिन टेस्ट क्रिकेट में खासकर इंग्लैंड में उनका औसत सिर्फ 14.66 रहा है, जिससे आलोचक सवाल उठा रहे हैं – क्या उन्हें जसप्रीत बुमराह के ऊपर कप्तानी मिलनी चाहिए थी?
दिलचस्प बात ये है कि खुद बुमराह का टेस्ट बैटिंग औसत इंग्लैंड में 11.90 है, यानी दोनों बल्लेबाज़ी के लिहाज़ से संघर्ष करते रहे हैं। लेकिन गिल को कप्तानी देने के पीछे चयनकर्ताओं का मानना है कि वह लंबे समय के लिए नेतृत्व की नींव बन सकते हैं।
जिम्बाब्वे टूर से मिली सीख
गिल ने बताया कि 2024 में जिम्बाब्वे दौरे पर कप्तानी करना उनके लिए बड़ा मोड़ था।
“वो मेरे लिए टेस्ट नहीं, बल्कि एक सीखने की सीरीज़ थी। मैंने वहां जाना, कप्तानी का अनुभव लिया और महसूस किया कि सिर्फ रन बनाना काफी नहीं है – टीम को एक दिशा देना और फैसले लेना भी उतना ही जरूरी है।”
निष्कर्ष – शुभमन पर भरोसा, पर निगाहें बनी रहेंगी
शुभमन गिल के पास काबिलियत है, स्टाइल है और अब कप्तानी की जिम्मेदारी भी। लेकिन भारतीय क्रिकेट में कप्तानी करना सिर्फ पद नहीं, बल्कि दबाव और उम्मीदों का संगम है।
गिल की अग्निपरीक्षा अब टेस्ट क्रिकेट के असली मंचों पर होगी – खासकर इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका जैसी चुनौतीपूर्ण सरज़मीं पर।
आपके विचार:
क्या शुभमन गिल भारतीय टेस्ट टीम को अगले दशक तक लीड कर पाएंगे?
क्या बुमराह को कप्तान बनाना बेहतर विकल्प होता?
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