Live Button LIVE

मैंने खुद BCCI को फोन किया… बुमराह ने बताया कप्तान क्यों नहीं बने रोहित के बाद

Jasprit Bumrah BCCI से कप्तानी को लेकर खुलासा करते हुए

रोहित के बाद कौन? कप्तानी की चर्चाओं में छाया बुमराह का नाम

टीम इंडिया में एक बड़ा बदलाव तब आया जब रोहित शर्मा ने इंग्लैंड सीरीज से ठीक पहले टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया। सोशल मीडिया से लेकर एक्सपर्ट पैनल तक हर जगह बस एक ही सवाल गूंज रहा था — अब अगला टेस्ट कप्तान कौन? इसी बीच जसप्रीत बुमराह का नाम सबसे आगे चल रहा था। वो पहले भी टेस्ट टीम के उपकप्तान रह चुके थे और जब-जब टीम को उनकी जरूरत पड़ी, उन्होंने नेतृत्व की जिम्मेदारी बखूबी निभाई। ऐसे में जब शुभमन गिल को नया कप्तान चुना गया, तो कई लोगों को हैरानी हुई। लेकिन अब खुद बुमराह ने इस पूरे घटनाक्रम पर अपनी चुप्पी तोड़ी है — बेहद ईमानदारी और संवेदनशीलता के साथ।


“मैंने BCCI को फोन किया…” बुमराह ने बताई कप्तानी ना लेने की असली वजह

स्काई स्पोर्ट्स पर दिनेश कार्तिक से बात करते हुए बुमराह ने जो कहा, वो ना सिर्फ एक खिलाड़ी की सोच दर्शाता है, बल्कि टीम के लिए उनके समर्पण को भी उजागर करता है। उन्होंने साफ कहा — “कोई ड्रामा नहीं था, मुझे हटाया नहीं गया, ना ही नजरअंदाज किया गया। IPL के दौरान ही मैंने BCCI को फोन करके कहा था कि मैं इस समय कप्तानी नहीं करना चाहता।” बुमराह ने कहा कि उनके वर्कलोड और कमर की चोट को देखते हुए उन्होंने फिजियो, डॉक्टर और सर्जन से सलाह ली और तय किया कि फिलहाल कप्तानी का दबाव लेना उनके और टीम — दोनों के लिए सही नहीं होगा।


“मैं टीम को पहला स्थान देता हूं” – जसप्रीत बुमराह का क्रिकेट के प्रति भावुक नज़रिया

बुमराह ने आगे कहा कि BCCI वास्तव में उन्हें कप्तानी की दौड़ में शामिल कर रहा था, लेकिन उन्होंने खुद ये ज़िम्मेदारी लेने से इनकार किया। उनके मुताबिक, “अगर किसी टेस्ट सीरीज़ में तीन मैच कोई और कप्तान खेले और दो किसी और के नेतृत्व में हों, तो यह टीम के लिए सही नहीं होता। मैं ऐसा कोई भ्रम नहीं चाहता था।” बुमराह का यह बयान बताता है कि उनके लिए टीम का संतुलन और भविष्य खुद की उपलब्धि से कहीं ऊपर है।


कप्तानी का सपना था लेकिन उससे बड़ा सपना — खेलते रहना

यहां एक अहम बात बुमराह ने कही — “कप्तानी मेरे लिए बहुत मायने रखती है, मैंने इसके लिए मेहनत भी की है। लेकिन अगर मैं सतर्क नहीं रहा तो मुझे खेल से ही दूर होना पड़ सकता है। इसलिए मैंने सोचा कि मेरे लिए और टीम के लिए यही बेहतर होगा कि मैं एक खिलाड़ी के रूप में योगदान देता रहूं।” इस बयान से साफ होता है कि बुमराह के लिए ‘कप्तान’ से ज़्यादा अहम ‘क्रिकेटर’ बना रहना है।


नेतृत्व एक पद नहीं, सोच होती है — बुमराह ने फिर रच दी नई परिभाषा

बुमराह ने कहा कि “कप्तानी सिर्फ एक पोस्ट है, लेकिन टीम में कई अनदेखे लीडर होते हैं।” वो खुद चाहते हैं कि चाहे कप्तान न भी बनें, वो टीम में एक मार्गदर्शक की भूमिका निभाते रहें। उन्होंने बड़े गर्व से कहा — “मैं चाहता हूं कि मैं भारतीय टीम के लिए लंबे समय तक खेल सकूं, सिर्फ पद के लिए खुद को जोखिम में नहीं डाल सकता।”


📌 निष्कर्ष

जसप्रीत बुमराह का यह फैसला दर्शाता है कि असली लीडरशिप केवल टॉस पर खड़े होने या ट्रॉफी उठाने तक सीमित नहीं होती। वह मैदान पर अपने प्रदर्शन से टीम के लिए मिसाल बनते हैं और अब मैदान के बाहर भी उन्होंने अपने फैसले से यह दिखा दिया कि ‘मैं’ से ऊपर है ‘हम’। क्रिकेट प्रेमियों के लिए यह एक भावुक लेकिन प्रेरणादायक कहानी है — एक ऐसे खिलाड़ी की जो खुद को नहीं, अपने देश की टीम को पहले रखता है।

ऐसी और खास क्रिकेट स्टोरीज़ के लिए जुड़िए IPLJankariHindi.com से!

MLC T20 में सनसनीखेज पल: CSK की टीम ऑल‑आउट सिर्फ 60 पर, एक गेंदबाज़ ने मचाया कहर

Share:

WhatsApp
Telegram
Facebook
Twitter
LinkedIn