आईपीएल 2025 के फाइनल मुकाबले में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने पंजाब किंग्स को हराकर पहली बार ट्रॉफी अपने नाम की। इस ऐतिहासिक जीत में कई खिलाड़ियों का योगदान था, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा विराट कोहली की धीमी मगर बेहद अहम पारी की रही। आम तौर पर विराट कोहली से तेज और आक्रामक बल्लेबाजी की उम्मीद होती है, लेकिन इस फाइनल में उनकी रणनीति कुछ अलग थी। 35 गेंदों में सिर्फ 43 रन बनाने वाली उनकी पारी ने टीम को सही दिशा दी और अंततः 18 साल के इंतजार को खत्म किया।
विराट कोहली की धीमी पारी — क्यों थी जरूरी?
फाइनल मैचों में रन बनाने की रफ्तार भले ही मायने रखती हो, लेकिन मैच जिताने वाली बल्लेबाजी हमेशा तेज होना जरूरी नहीं होती। विराट ने इस फाइनल में बिल्कुल वही किया। शुरुआत में टीम ने तेज शुरुआत नहीं की, लेकिन कोहली ने संयम के साथ पारी को संभाला और विकेट को बचाए रखा। जब पंजाब किंग्स की गेंदबाजी ने दबाव बनाया और विकेट गिरने लगे, तब विराट ने शांत दिमाग से पारी को आगे बढ़ाया।
कोहली ने जिस तरह से अपनी पारी को नियंत्रित किया, उससे बाकी बल्लेबाजों को भी भरोसा मिला कि विकेट सुरक्षित है। उन्होंने स्ट्राइक रोटेट करने में महारत दिखाई, जिससे टीम को लगातार रन मिलने लगे। खास बात यह है कि कोहली ने जोखिम कम लिया और जरूरत पड़ने पर धीरे-धीरे रन बनाए, जिससे टीम का स्कोर 190 के पार पहुंचा। यह स्कोर फाइनल मैच के लिए काफी था।
सामान्य नजरिए से धीमी पारी पर उठे सवाल
कोहली की पारी पर सोशल मीडिया और दर्शकों के बीच शुरुआत में सवाल उठे। लोगों ने कहा कि फाइनल में इतनी धीमी बल्लेबाजी ठीक नहीं है। सोशल मीडिया पर “टेस्ट मोड” में खेलने का मजाक भी उड़ाया गया। लेकिन खेल की गहराई को समझने वाले लोग जानते थे कि यह पारी कितनी अहम थी। फाइनल जैसे दबाव वाले मैच में विकेट बचाना और टीम को स्थिर बनाकर रखना सबसे बड़ी जरूरत होती है। कोहली ने इसे बखूबी निभाया।
टीम की रणनीति और कोहली का रोल
इस फाइनल में आरसीबी ने पहले बल्लेबाजी की। टीम ने शुरुआत में कुछ विकेट जल्दी खो दिए थे, जिससे टीम संकट में थी। ऐसे में कप्तान विराट कोहली का धैर्य और समझदारी भरा खेल टीम के लिए संजीवनी साबित हुआ। कोहली ने पाटीदार, लिविंगस्टोन और जितेश शर्मा के साथ मिलकर टीम को 190 रन तक पहुंचाया।
विराट कोहली के धीमे खेल से दूसरी ओर बल्लेबाजों को मौका मिला कि वे सही समय पर आक्रामक बल्लेबाजी कर सकें। पाटीदार ने 26, लिविंगस्टोन ने 25 और जितेश शर्मा ने 24 रन बनाए, जिन्होंने टीम को मजबूत स्थिति में पहुंचाया। कोहली की भूमिका टीम में एक मजबूत आधार बनाने की थी, जिसे उन्होंने पूरी मेहनत और समझदारी से निभाया।
पंजाब किंग्स की हार में कोहली की पारी का योगदान
जब पंजाब किंग्स ने 191 रनों का पीछा किया, तो उनकी शुरुआत अच्छी रही। लेकिन मिडिल ऑर्डर में जल्दी विकेट गिरने से दबाव बना। ऐसे समय में आरसीबी के गेंदबाजों ने सधी गेंदबाजी की और पंजाब की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। कोहली की पारी की वजह से टीम को वह मजबूती मिली थी, जिससे गेंदबाजों ने आत्मविश्वास के साथ मुकाबला किया।
कोहली ने सिर्फ रन ही नहीं बनाए, बल्कि टीम की सोच को मैच के दबाव के बीच स्थिर रखा। उनकी पारी ने पूरे टीम को मानसिक रूप से मजबूत किया और अंततः ये संयमित बल्लेबाजी ही आरसीबी को खिताब दिलाने में सबसे बड़ा रोल निभाई।
सोशल मीडिया की प्रतिक्रियाएं और कोहली की जीत
फाइनल के बाद जहां सोशल मीडिया पर कोहली के धीमे खेल को लेकर पहले नकारात्मक प्रतिक्रियाएं आईं, वहीं जीत के बाद उनकी आलोचना करने वाले भी उनकी इस पारी की अहमियत को समझने लगे। क्रिकेट विशेषज्ञों ने भी कहा कि फाइनल में इस तरह की पारी टीम के लिए कितनी महत्वपूर्ण होती है।
कोहली के लिए यह पारी किसी टेस्ट मैच की तरह थी, जहां उनकी जिम्मेदारी थी विकेट बचाना और टीम को मजबूत स्थिति में पहुंचाना। इस फाइनल जीत के बाद कोहली ने साबित कर दिया कि वह सिर्फ तेज रन बनाने वाले बल्लेबाज नहीं, बल्कि टीम की रणनीति और परिस्थितियों के हिसाब से खेलने वाले सबसे समझदार खिलाड़ी भी हैं।
निष्कर्ष
आईपीएल 2025 का फाइनल विराट कोहली की पारी की वजह से यादगार बन गया। उनकी धीमी पारी ने आरसीबी को न केवल मानसिक मजबूती दी, बल्कि टीम को वह आधार भी दिया जिसकी मदद से उन्होंने 18 साल बाद पहली बार आईपीएल ट्रॉफी जीतकर इतिहास रच दिया। इस पारी ने साबित किया कि क्रिकेट में बल्लेबाजी की रफ्तार से ज्यादा जरूरी है सही समय पर सही खेल दिखाना।
इस जीत के साथ विराट कोहली ने अपने खेल की पराकाष्ठा दिखाई और फाइनल में अपनी भूमिका निभाकर अपनी टीम को विजेता बनाया। इस फाइनल की सबसे बड़ी सीख यही है कि क्रिकेट सिर्फ रन बनाने का खेल नहीं, बल्कि धैर्य, समझदारी और सही रणनीति का भी खेल है। और विराट कोहली ने इसे बखूबी निभाया।
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