इंडिया का इंग्लैंड दौरा 2025 जैसे-जैसे नज़दीक आ रहा है,
वैसे-वैसे चयन को लेकर बहस भी तेज़ हो रही है।
इस बार सुर्खियों में हैं — श्रेयस अय्यर।
और उनके समर्थन में खुलकर सामने आए हैं —
वीरेंद्र सहवाग, जो BCCI के फैसले से खासे नाराज़ हैं।
🧨 सहवाग बोले – “इतना प्रदर्शन करने के बाद भी टेस्ट नहीं खेल सकते?”
वीरू ने सोशल मीडिया पर लिखा —
“अगर एक कप्तान अपनी टीम को प्लेऑफ में ले जाए, IPL में 488 रन बनाए, रणजी में 68 की औसत से रन करे —
तो वो टेस्ट खेलने लायक क्यों नहीं है?”
सवाल जायज़ है।
श्रेयस अय्यर ने IPL 2025 में पंजाब किंग्स को प्लेऑफ तक पहुंचाया।
खुद 13 मैचों में 488 रन बनाए, और रणजी ट्रॉफी में भी 480 रन ठोके।
❌ फिर क्यों नहीं मिला टेस्ट स्क्वॉड में नाम?
BCCI का तर्क है कि अय्यर 2024 में चोटिल थे (पीठ की तकलीफ)
और उनका टेस्ट गेम शायद विदेशी पिचों पर फिट न हो।
इसी कारण साई सुदर्शन, करुण नायर जैसे यंग खिलाड़ियों को तरजीह दी गई।
पर सवाल ये भी है —
क्या IPL और घरेलू फॉर्म को नजरअंदाज करना सही है?
🏏 “अय्यर हर फॉर्मेट के लायक हैं” — सहवाग
सहवाग ने कहा कि अय्यर का गेम सिर्फ T20 तक सीमित नहीं है।
उन्होंने डेब्यू टेस्ट में शतक जड़ा था,
और जब टीम ट्रांजिशन में है —
ऐसे खिलाड़ी को मौका मिलना चाहिए, जो दबाव झेलना जानता हो।
🔍 अब BCCI की सोच सवालों के घेरे में
- क्या सिर्फ यंग ब्लड पर दांव लगाना सही है?
- क्या अनुभव और लीडरशिप को नजरअंदाज करना भविष्य के लिए नुकसानदेह नहीं होगा?
❓ क्या श्रेयस अय्यर को टेस्ट टीम में होना चाहिए था? या BCCI का फैसला सही है?
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