इंग्लैंड क्रिकेट टीम के कोच ब्रेंडन मैकुलम ने भारत के खिलाफ आगामी टेस्ट सीरीज से पहले बड़ा फैसला लिया है, जिससे क्रिकेट जगत में काफी चर्चा हो रही है। इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) ने अपने दो वरिष्ठ डाटा विश्लेषकों, फ्रेडी वाइल्ड और नाथन लीमन, को टीम से बाहर कर दिया है। इस कदम को मैकुलम के नए दृष्टिकोण से जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें वे आँकड़ों से अधिक “दिल और दिमाग़” पर भरोसा करना चाहते हैं।
डाटा से दूरी, दिल और भावना को तवज्जो
मैकुलम का मानना है कि केवल आँकड़ों पर आधारित रणनीति टेस्ट क्रिकेट के लिए सही नहीं है। उनका कहना है कि जबकि टी20 जैसे फॉर्मेट में डेटा का महत्व अधिक है, टेस्ट क्रिकेट में खिलाड़ी की भावना, अनुभव और अंतर्ज्ञान ज्यादा मायने रखते हैं। फ्रेडी वाइल्ड (डाटा ऐनालिस्ट) और नाथन लीमन (व्हाइट बॉल ऐनालिस्ट) को हटाने का निर्णय, इस सोच का नतीजा है कि फ्रेंचाइज़ क्रिकेट में डेटा ज़रूरी हो सकता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में खिलाड़ियों के प्रदर्शन के लिए आत्मविश्वास और सहजता अहम हैं।
खिलाड़ियों को दी जा रही अधिक ज़िम्मेदारी
मैकुलम के इस नए दृष्टिकोण के अनुसार, खिलाड़ियों को उनके प्रदर्शन और तैयारी की जिम्मेदारी खुद लेनी होगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मैच के दिनों में टीम के सपोर्ट स्टाफ की संख्या भी कम कर दी गई है, ताकि ड्रेसिंग रूम का माहौल सरल और फोकस्ड रहे।
मैकुलम का तर्क है कि कम सपोर्ट स्टाफ से खिलाड़ियों को अधिक स्वतंत्रता मिलती है। वे अब टीम एनालिस्ट की बजाय अपने खुद के अनुभव और instincts पर अधिक भरोसा कर सकते हैं। हालांकि, खिलाड़ियों को विश्लेषक से सलाह लेने की छूट है, लेकिन उन्हें ज्यादा ध्यान अपनी फीलिंग्स और मैदान पर अपनी रणनीति पर देने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
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भारत और इंग्लैंड की सोच में अंतर
यह नया दृष्टिकोण इंग्लैंड को भारत से बिल्कुल अलग दिशा में ले जा रहा है। भारतीय टीम के कोच राहुल द्रविड़ ने अपने कार्यकाल में डेटा और एनालिसिस पर जोर दिया है। भारत में प्रत्येक खिलाड़ी की ताकत और कमजोरियों का गहराई से विश्लेषण किया जाता है।
मगर, मैकुलम ने इंग्लैंड के खिलाड़ियों को अधिक सहज और “अन-क्लटर्ड” वातावरण देने का फैसला लिया है। इसका मकसद है कि खिलाड़ी स्वतंत्र रूप से अपनी अंदरूनी क्षमताओं का उपयोग करें और मैदान पर बेहतर प्रदर्शन करें।
नए टेस्ट चक्र की शुरुआत
भारत और इंग्लैंड के बीच यह टेस्ट सीरीज 20 जून से हेडिंग्ले में शुरू होने वाली है। यह नए वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप चक्र का हिस्सा होगी। इंग्लैंड की यह नई रणनीति, उनकी पारंपरिक विचारधारा से काफी अलग है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत जैसी मजबूत टीम के खिलाफ यह दृष्टिकोण कितना कारगर साबित होता है।
ब्रेंडन मैकुलम का यह नया दांव इंग्लिश टीम को किस दिशा में ले जाएगा, यह तो समय ही बताएगा। लेकिन एक बात तय है, इंग्लैंड इस बार मैदान में हर निर्णय का आधार दिल और दिमाग की टक्कर को बनाए रखेगा।